बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में सत्येन्द्र बाबू का पलड़ा कमजोर
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Satyendra Naryan Sinha. Source Facebook |
NK SINGH
बिहार में कांग्रेस के
नेत्रित्व में गठित मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. १८ मई १९६९ को १८ नए मंत्रियों ने
शपथ ग्रहण किया.
नाम तो पहले १७ ही आये
थे. पर अंतिम क्षणों में हुल झारखण्ड के एक विधायक को भी मंत्रिमंडल में शामिल
करने का पैंतरा चलकर मुख्यमंत्री सरदार हरिहर सिंह ने एक नया आयाम पैदा कर दिया.
अब तक हुल झारखण्ड के
सदस्य विरोधी दलों की कतार में ही बैठा करते थे.
मुख्यमंत्री का शपथ
ग्रहण होने के दस दिनों के बाद तक वे अपने मंत्रिमंडल के एकमात्र सदस्य बने रहे.
बाद में कैबिनेट स्तर में 11 मंत्री आये.
१७ मई के विस्तार में
केवल तीन गैर-कांग्रेसी मंत्री बनाये गए. नए मंत्रियों में प्रदेश कांग्रेस के
असंतुष्ट गुट के नेता दारोगा राय और बालेश्वर राम उल्लेखनीय हैं.
भूमिहार वर्ग से
मंत्रिपद के लिए शत्रुघ्न सिंह को महेश बाबू का आशीर्वाद प्राप्त था. सत्येन्द्र
बाबू के विरोध के बावजूद वे अपने प्रयास में सफल भी हुए.
राजपूत वर्ग से जगन्नाथ
सिंह को मुख्यमंत्री के साथ साथ केन्द्रीय मंत्री राम सुभग सिंह का समर्थन था. वे
भी कैबिनेट में शामिल कर लिए गए.
राजपूत वर्ग से ही
सत्येन्द्र बाबू का समर्थन चंद्रशेखर सिंह को था. पर सत्येन्द्र बाबू उन्हें
मंत्री नहीं बनवा पाए. उनकी जगह उनके दो और ‘आदमियों’ – रामविलास शर्मा और
राजेंद्र प्रताप सिंह – को मंत्रिमंडल में जगल मिली.
सत्येन्द्र नारायण सिंह
का पलड़ा हल्का रहा. उनके विरोध के बाद भी शत्रुघ्न सिंह और जगन्नाथ सिंह को
मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. मुंगेर से उनके उम्मीदवार चंद्रशेखर सिंह की जगह
सरयू प्रसाद सिंह मंत्री पद पा गए.
ब्राह्मण गुट से केन्द्रीय
मंत्री ललित नारायण मिश्र के आग्रह पर लह्टन चौधरी और प्रो. नागेन्द्र झा को
मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.
केबी सहाय का आशीर्वाद
प्राप्त मोची राम मुंडा को भी कैबिनेट स्तर मिला.
Excerpts
from Mashal, 31 May 1969
How caste chieftains control Bihar politics: Caste leaders’ share in expansion of Sardar Harihar Singh ministry in 1969
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Mashal 31 May 1969 |
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