पलामू: एक बार फिर अकाल के चंगुल में

Map of Palamu district, Jharkhand, published by NIC
Palamu. Map credit NIC

NK SINGH

 Palamu in grip of famine

पलामू पर फिर अकाल मंडराने लगा है। देश ने बिहार (अब झारखंड) के इस सबसे छोटे जिले का नाम 1966-67 के अकाल के दौरान जाना था। उस बार अकाल की विभीषिका सबसे घोर यहीं थी।

इस बार भी जिले की पूरी फसल सूखे की चपेट में या गई है। और आसरा इस जिले को बस एक खेती का ही है. उद्योग के नाम पर ले-देकर एक जापला सिमेन्ट कारखाना है।


पलामू के तीन विधायकों ने बयान जारी किया है कि भूख से यहाँ 13 व्यक्ति मर चुके हैं।

जिले के कुल 4,921 वर्गमील में से 2,146 वर्गमील जंगल है। जिले के 4 लाख निवासी राज्य के सबसे पिछड़े और गरीब लोग हैं। सिंचाई के लिए वर्ष के अलावा और कोई सहारा नहीं।

जंगल-वासियों के लिए महुए का बड़ा सहारा रहता है. वे भोजन के काम आते हैं। इस बार महुए के फूल का भी अकाल पड़ा हुआ है।

राज्यपाल ने आदेश निकाल कि 500 रुपए से काम कर्ज कि वसूली रोक दी जाए। कर्ज कि वसूली तो रुक दी गई, पर लगान की वसूली मुस्तैदी से की जा रही है.

सबसे सम्पन्न पर सबसे गरीब

पलामू का भूगर्भ राज्य में सबसे अधिक सम्पन्न है। मगर वह सारा खनिज धन भूगर्भ में ही पड़ा सो रहा है।

खेती बाबा आदम के जमाने वाले ढंग से होती है। उपज हद से हद एक क्विंटल फी एकड़ हो पाती है।

राज्य और जिले के हकीम कानों में तेल डाले सो रहे हैं। सरकार इस समय नौकरशाहों की है। दो सालों के अंदर छह-छह सरकारों का बनना-बिगड़ना देख चुके नौकरशाह यह अटकल लगाने में दिन-रात व्यस्त रहते हैं कि अगली सरकार “किन लोगों” की  होगी।

Excerpts from Patriot (Hindi), 7 September 1969

Palamu: ek baar phir akaal ke chngul mein, by NK Singh, published in Patriot (Hindi) weekly, 7 September 1969
Patriot (Hindi) weekly, 7 September 1996

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