चंद्रशेखर ने १९६९ में अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं की आलोचना की
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Chandra Shekhar. Source Facebook |
Congress 'Young Turk' Chandra Shekhar attacks senior party leaders in 1969
NK SINGH
एक दिन बाद ही अखबार या तो रद्दी के ढेर में चला जाता है या फिर मूंगफली का ठोंगा बनाने के काम में आता है. पर वही पुराना अख़बार इतिहास के पहले अनगढ़ ड्राफ्ट का काम भी करता है.
रांची टाइम्स के 20 अप्रैल १९६९ की इस कतरन की हालत बताती है कि पचास साल में अख़बार के पन्ने किस तरह जीर्ण शीर्ण अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं. छूने भर से कागज कई टुकड़ों में बिखरने लगते हैं.
इसलिए मैंने अपनी पुरानी कतरनों को डिजिटल फॉर्म में सहेजने का प्रोजेक्ट शुरू किया है.
इस श्रृंखला में पेश है मेरी हिंदी में छपी पहली रिपोर्ट.
१९६९ में 'युवा तुर्क' चंद्र शेखर देश भर के अख़बारों की सुर्ख़ियों पर छाये हुए थे. मोहन धारिया और कृषन कान्त जैसे कांग्रेस के अन्य समाजवादी नेताओं के साथ मिलकर वे संसद में और संसद के बाहर भी अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं पर जम कर हमले कर रहे थे.
उन्होंने संसद में उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे. कांग्रेस के दक्षिणपंथी नेताओं ने इसे अनुशासन हीनता करार दिया था. माहौल गरम था. कुछ महीनों बाद ही कांग्रेस का विभाजन होने वाला था.
ऐसे समय में चन्द्र शेखर पटना आये और एक आम सभा में दक्षिणपंथी धड़े के कांग्रेसी नेताओं की आलोचना तो की ही, बिड़ला को भी निशाने पर लिया और पूछा कि वित्त मंत्री की हैसियत से मोरारजी ने बिड़ला का १२ करोड़ इनकम टैक्स माफ़ कैसे कर दिया?
रांची टाइम्स के 20 अप्रैल १९६९ के अंक में उस मीटिंग के बारे में मेरी रिपोर्ट:
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